पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१६

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और 'रिपवान विंकल' का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद किया। ये दोनों उपन्यास काशीपत्रिका में उर्दू में निकल चुके थे। उक्त पत्रिका के कुछ अन्य निबंधों का भी आपने हिंदी अनुवाद कर उनके संग्रह का नाम 'नीतिनिबंध रखा। 'विनोद बाटिका' के नाम से गुलज़ारे दबिस्ताँ का और 'उपदेश कुसुम' नाम से शेखसादी शीराजी के गुलिस्ताँ के आठवें परिच्छेद का अनुवाद किया। बंगला भाषा भी आप अच्छी तरह जानते हैं और उक्त भाषा से कई पुस्तकों का आपने अनुवाद भी किया है। बिल्कुल सीधी बोलचाल की भाषा में आपने दो उपन्यास लिखे हैं जिनके नाम 'ठेठ हिंदी का ठाठ' और 'अधखिला फूल' हैं जिनमें से प्रथम ग्रंथ सिविल सर्विस परीक्षा में बहुत दिनों तक कोर्स में था। 'रूक्मणीपरिणय' तथा 'प्रद्युम्न विजय व्यायोग' नामक दो रूपक भी आपने लिखे हैं। काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा जो 'कबीर वचनावली' प्रकाशित हुई है, उसका आपने ही संपादन किया है जिसकी भूमिका आपने बड़ी ही योग्यता से लिखी है।

अभी तक जिन पुस्तकों का उल्लेख किया गया है, वे सभी गद्य ग्रन्थ हैं। आपके महाकाव्य 'प्रियप्रवास' का ऊपर उल्लेख किया जा चुका है। यह खड़ी बोली का अत्यंत विशद काव्य ग्रन्थ है जिसमें श्रीकृष्णजी के मथुरागमन लीला का विस्तृत वर्णन है। इसमें करुण-रस का प्राधान्य है तथा वर्णन ऐसा उत्तम हुआ है कि स्थान विशेष पर चित्रसे खींच दिए गए हैं। चोखे चौपदे। तथा 'चुभते चौपदे' नामक दो ग्रन्थ अभी हाल ही में प्रकाशित हुए हैं। प्रेम प्रपंच, प्रेमाम्बु प्रवाह, प्रेमाम्बु वारिधि, प्रेम प्रस्रवण, पद्य प्रमोद, पद्यप्रसून और ऋतु मुकुर नामक अनेक काव्य पुस्तके भिन्न भिन्न प्रकाशकों के यहाँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें