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वेनिस का बाँका
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कि जो जिव्हा हिलाई तो अच्छा न होगा। (उच्चस्वर से) प्रकट हो! प्रकट हो! यही समय है'। उसने फिर सीटी बजाई, तत्काल द्वारकपाट खुल गया और महाराज के तीनों प्राचीन मित्र कोनारी लोमेलाइनो और मानफरोन आकर उपस्थित हुये। यह देख काण्टेराइनो ने कुक्षिप्रान्त से यमधार निकाल कर आत्मघात किया शेष चार अपराधियों को पदातिगण अपने साथ ले गये। महाराज ने जो अपने बिछुड़े हुये मित्रों को बहुत कालोपरान्त पाया तो दौड़ कर उनसे लिपट गये और प्रत्येक के गले लग कर बहुत ही रुदन किया। यह दशा अवलोकन कर अपर लोगों की आँखों में भी आँसू भर आया। नृपति महाशय को कदापि आशा न थी कि उन लोगों से स्वर्ग के अतिरिक्त फिर कभी समागम होगा। इसलिये उनको जीवित पाकर परमेश्वर को लाखो बार उन्होंने धन्यवाद प्रदान किया। इन चारों मनु- प्यों में बालापन ही से अत्यन्त प्रीति थी, और चिरकाल से अबिछिन्न मैत्री निर्वाहित थी, युवावस्था में बहुत काल पर्य्य- न्त एक द्वितीय के सहायक और सहकारी रह चुके थे, इस कारण वृद्धावस्था में वे एक दूसरे का सम्मान और भी अधिक करते थे॥

रोजाबिला अबिलाइनो के गले से लिपट कर रुदन कर रही थी और बार बार यही कहती थी 'तू अबिलाइनो प्राणहारक नहीं है। थोड़ी देर बाद महाराज उनके मित्र और दूसरे लोग अपने अपने स्थान पर बैठे और पहले उनके मुख से यही शब्द निकले 'धन्य अबिलाइनो धन्य क्यों न हो परमेश्वर तुझको चिरञ्जीवी करे, निस्सन्देह तूने हम लोगों के प्राण की रक्षा की। अब प्रत्येक व्यक्ति की जिव्हा पर अबिलाइनो की प्रशंसा के शब्द थे, धन्य धन्य के छर्रे चल रहे थे और सब उसके चिरञ्जीवी होने के लिये वर याचना करते थे। अहा! समय का भी अद्भुत