पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१७७

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दि औनरेबुल पं॰ श्यामबिहारी मिश्र एम॰ ए॰ रायबहादुर यह प्रसिद्ध ग्रन्थ पढ़कर चित्त बहुत प्रसन्न हुआ। उसमें कविता की बहुत ही विशद प्रभा दृष्टिगोचर होती है।

इसके अतिरिक्त अनेक प्रसिद्ध विद्वानों तथा पत्रिकाओं ने अपनी अपनी अच्छी सम्मतियाँ भी प्रदान की हैं।

२―निमाई संन्यास नाटक

चार सौ वर्ष हुए जब कि काटीया नगर बंगाल में श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने अवतीर्ण होकर भक्ति रस की जो तरंगें प्रवाहित की थीं वे अब भी उसी प्रकार तरंगित हो रही हैं। विष्णव-धर्म- प्रचारार्थ इन्होंने यौवनकाल ही में सन्यास ले लिया था। उसी घटना को 'अमृत बाजार पत्रिका' के जन्मदाता स्वर्गीय परम भक्त श्रीयुत शिशिरकुमार घोष की अमर लेखनी ने नाटक के रूप में ढाला है। उसीका यह अनुवाद अत्यन्त सरल भाषा में किया गया है पृ॰ संख्या लगभग १८०, एंटीक काग़ज़ मूल्य ॥।) अजिल्द १) सजिल्द।

३―चन्द्रालोक

पीयूषवर्ष जयदेव कुत चंद्रालोक अलंकार का एक छोटा पर उत्तम ग्रन्थ है जिसमें संक्षेप ही में रस, अलंकारादि की अच्छी विवेचना की गई है। इसका केवल एक ही संस्करण प्राप्त है जो विद्यालय के परीक्षाथयों के लिए विशेष उपयोगी नहीं है। इस संस्करण में मूल के साथ हिंदी में अनुवाद भी दिया गया है जिसमें कठिनाइयों के स्पष्ट करने का विशेष प्रयास किया गया है। भूमिका में ग्रन्थकार के चरित्र, समय आदि का पूरा ऐतिहासिक विश्लेषण किया गया है। वर्णानुक्रम से अलंकारिक शब्दों की सूची भी अन्त में दी गई है। पृ॰ संख्या लगभग १३० एंटीक मोटा कागज़ छपाई उत्तम मूल्य =)

पता― रामचन्द्र पाठक, व्यवत्थापक पाठक एण्ड सन्स, राजादरवाजा, काशी।