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काव्य-ग्रन्थरत्न-माला-नवाँ रत्न

अनुराग―बाटिका

[ प्रणेता श्रीवियोगीहरिजी ]

वियोगीहरिजी से हिन्दी-साहित्य-प्रेमीगण भलीभाँति परिचित हैं। साहित्य विहार, अन्तर्नाद, ब्रजमाधुरीसार, कविकीर्तन, तरंगिणी आदि ग्रंथों के देखने से उनकी असाधा- रण प्रतिभा का परिचय मिल जाता है । इस पुस्तिका में इन्हीं वियोगीहरिजी-प्रणीत ब्रजभाषा की कविताओं का संग्रह है। कविता के एक-एक शब्द अमूल्य रत्न हैं, कवि-प्रतिभा के द्योतक हैं। अनुराग वाटिका का कुछ अंश सम्मेलन, सरस्वती आदि पत्रिकाओं में निकल चुका है और साहित्य रसिकों द्वारा सम्मा- नित भी हो चुका है। छपाई सफाई सुन्दर। मूल्य केवल ।।।


छप रही है:-

वृन्द―सतसई

महाकवि वृन्दकी जीवनी, बड़े खोज के साथ इस में दी गयी है। पुस्तकान्त में पर्याप्त टिप्पणियाँ भी दे दी गयी हैं। पाठ अनेकों प्राचीन प्रतियों से मिलाकर शुद्ध किया गया है।