नहीं गया था, चालाकी काइयाँपन और कठोरता में वह अद्वितीय था। उसके साथी जो कुछ सम्पत्ति हरणकर लाते उस के हाथ में देते थे, वह प्रत्येक पुरुष का भाग पृथक् कर देता और आप भी उन्हीं के बराबर ले लेता था। जो लोग उसके काल समान कठोर करों से निहत होकर विविधाकांक्षा पाशबद्ध इस संसार से उठ गये थे उनकी तालिका इतनी बड़ी थी कि गिनाना दुस्तर था। बहुत से नाम उसकी स्मरण शक्ति ने विस्मरण कर दिये थे, परन्तु बेकार होने के समय उसको अपने डाकूपन के कतिपय उपाख्यानों के वर्णन करने में-जो अब तक याद थे-अत्यन्त प्रसन्नता प्राप्त होती थी, जिसका अभिप्राय यह था कि उसे सुनकर उसके साथी भी वैसा ही करें। उसके शस्त्र पृथक रक्खे रहते थे और उनसे एक कोठरी ठसाठस भरी हुई थी। सहस्रों प्रकार के मुठियावाले और विना मुठिया के कटार दो तीन और चार धारको बन्दूकें जो वायु संसर्ग से
छूटती थीं, पिस्तौल, करवाल, यमधार, प्रभृति प्रत्येक प्रकार के विषाक्त शस्त्र, तथा सब प्रकार के विष, भांति भांति के बेष परिवर्तन के परिच्छद, जिनसे मनुष्य जिस प्रकार का रूप चाहे
बन ले, वहां मौजूद थे।
एक दिन उसने अविलाइनो को उस कोठरी में बुलाकर कहा " सुनो मित्र तुम्हारे ढंग से ज्ञात होता है कि तुम वीर निकलोगे अतएव उचित है कि अपनी रोटी आप कमा खाओ और हमलोगों का भरोसा छोड़ दो। देखो यह कटार उत्तमोत्तम फौलाद का है जिसके प्रत्येक इञ्च का मूल्य तुमको प्राप्त हो सकता है। यदि एक इञ्च किसी के हृदय में भोंक दो तो एक स्वर्णमुद्रा, दो इञ्च के लिये दश स्वर्णमुद्रा, तीन इश्च के लिये विंशति स्वर्णमुद्रा, और सम्पूर्ण कटार के लिये अभिलषित पारतोषिक प्राप्त होगा। दूसरे इस कटारको देखो यह स्फटिक