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वेनिस का बांका
२०
 


परमेश्वर के लिये भविष्यत् में ऐसे संशय हमारे सामने न उपस्थित करना। हमलोग भी महाराज और उनके मंत्रियों की भांति मनुष्य हैं अतएव हम को भी बुराई भलाई के विषय में नियम और नीति निर्माण करने का वैसाही अधिकार प्राप्त है जैसा कि उनको है और हम भी यह निर्धारण कर सकते हैं कि अमुक कर्म सत् है और अमुक असत्।

अविलाहनो यह सुन कर हँस पड़ा इस पर माटियो और अधिक उत्तेजना के साथ कहने लगा।

कदाचित् तुम हमसे यह कहोगे कि हमारी वृत्ति निकृष्ट है, अब बतलाओ कि महत्त्व क्या वस्तु है? केवल एक शब्द, एक वाक्य, एक अनुमानित विषय, और है क्या? यदि जी चाहे तो किसी राजपथ पर जहाँ प्रत्येक प्रकार के लोग आते जाते हों चल कर पूछो कि महत्व किस बातसे प्राप्त होता है? महाजन कहेगा बस धनवान होना योग्य होना है और वही बड़ा सम्मान योग्य है जिस के पास अधिक स्वर्णमुद्रायें हैं। विषयी कहेगा अजी यह मूर्ख व्यर्थ प्रलाप करता है महत्व इसमें है कि प्रत्येक युवती प्यार करे और कोई कैसी ही पति-परायणा क्यों न हो हमलोगों के हस्तगत होजाय। सेनप कहेगा, 'दोनों झूठे हैं। सच पूछिये तो देश जीतने शत्रु को पराभव देने और बसे हुये नगरों को उजाड़ने सेही महत्त्व प्राप्त होता है। पढ़े लिखे लोग बहुत से ग्रन्थ ही लिखने अथवा पठन करने में बड़ा महत्व समझते हैं-भाजनकार इसी में भूला हुआ है कि मैंने इतने भाजन बनाये और उनको सुसँस्कृत किया, बस अब मेरे समान संसार में दूसरा मनुष्य नहीं। संत अथवा महात्मा लोग अपने पूजापाठ और ईश्वरार्चन के घमंड में चूर हैं। बारबधू गण इसी पर मुग्ध हैं कि मेरे बहुत से ग्राहक हैं। और भूपति के जी में यही समाई है कि मेरे