अधिकार में इतने देश हैं। निदान जिसे देखो मित्र! वह एकन एक निराली बात में अपना मान समझता है। अतएप हमलोग भी अपनी बृत्ति में पूरी योग्यता लाभ करना और ताक कर ठोक कलेजे में कटार भोंक देना क्यों न महत्व की बात समझे।
अविलाइनो-'जीवन की शपथ माटियो इस समय मुझे अत्यन्त शोक हुआ कि तुम डाकू का काम करते हो क्यों तुमतो किसी पाठशाला में न्याय के उच्च अध्यापक नियत किये जाने के योग्य थे।
माटियो-वास्तव में तुम ऐसा विचार करते हो तो लो मैं अब अपना वृत्तान्त तुम से वर्णन करता हूँ। मेरे पितालका में पादरी थे और मेरी माता एक अत्यन्त पतिव्रता और आचारवती स्त्री थी। उन लोगों ने मुझे धर्म विषयक शिक्षा-दी और मेरे पिताने चाहा कि वह मुझे किसी माननीय धार्मिक पद पर नियुक्त करा दें। परन्तु मुझे तत्काल ज्ञात हो गया कि मेरी प्रकृति दुष्टता और उत्पात के गाँवकी है अतएव मैंने अपने हृदय का अनुसरण किया। पर मैं सोचता हूँ कि मेरा पढ़ना लिखना निरर्थक नहीं हुआ क्योंकि उन्हीं के कारण अब मुझको वह योग्यता प्राप्त है कि अनुमानित भय की बातों से मैं कदापि भयभीत नहीं होता। आशा है कि अब तुम भी मेरी ही प्रणाली को ग्रहण करोगे लो, अब तुम्हारा परित्राता जगत् रक्षक है।