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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/४४

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पांचवां परिच्छेद
 


प्राण प्रयाण के समय तुम लोगों की शान्ति और समाधान का कारण थीं। यदि मेरा जीवन है तो मैं एकाकी ऐसे कार्य करूंगा जिससे भविष्यत् में लोग उस नामका सम्मान करेंगे जो मेरे सत्कर्मों के कारण विख्यात होगा "अब उस ने अपना मस्तक इतना नीचे झुकाया कि कपाल देश पृथ्वी से लग गया और नेत्रोंसे अशु प्रवाह होने लगा। बड़े बड़े बिचारों ने उसके हृदय में स्थान ग्रहण किया था, विविध प्रकार के भाव उसके चित्त में समाये हुये थे और वह बड़ी बड़ी बातें सोच रहा था यहां तक कि उसका शिर चक्कर में आ गया। दो घंटे तक वह इसी हेर फेर में रहा, इसके उपरांत अचाञ्चक उठ कर उनके पूर्ण करने के लिये चल निकला, और यह प्रण ठाना, “मैं पांच निकृष्ट और नीच प्रतारकों का सहकारी होकर मनुष्य को दुख देने में कदापि प्रयत्न न करूँगा वरन एकाकी सम्पूर्ण वेनिस को भयग्रस्त और त्रस्त रक्खूँगा और एकही सप्ताह के भीतर वह युक्ति करूँगा जिससे ए दुष्टात्माशूली पर लटकते दृष्टिगोचर हों। वेनिस में पांच प्रतारकों के रहने को कुछ आवश्यकता नहीं केवल एक ही पुरुष ऐसा रहेगा जो स्वयं महाराज का सामना करेगा और भलाई बुराई को देखता रहेगा और अपने परामर्श के अनुसार लोगों को पुरस्कार और दण्ड देगा। एक सप्ताह के भीतर यह देश इनपाँचों दुष्टाग्रगण्यों से रहित हो जायगा और तब मैं अकेला कार्यक्षेत्र का स्वामी हूँगा। उस समय बेनिस के सम्पूर्ण उत्पातप्रिय लोग जिन्होंने आज तक मेरे साथियों के कटार से काम लिया है मेरे पास अपनी कामना लावेंगे और मुझे उन कायरों वधिकों और उन माननीय विषयियों के नाम ज्ञात होंगे जिन्होंने अब तक भाटियो और उसके साथियों के द्वारा निरपराधियों की ग्रीवा पर