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वेनिस का बांका
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छूरिका फिरवाई है और प्रत्येक ओर अबिलाइनो अबिलाइनो की पुकार मचेगी। सुन रख ऐ वेनिस इस नाम को और डर!"॥

इन आशाओं ने उसको इतना उन्मत्त कर दिया कि वह उस बाटिका से अकुलाकर निकला और एक लघुनौका पर सवार होकर झटपट सिन्थिया के गृह में प्रविष्ट हुआ जहाँ उसके साथी पहले ही से पड़े सो रहे थे॥


षष्ठ परिच्छेद।

दूसरे दिन अरुणोदय के समय माटियोने अबिलाइनो को बुलाकर कहा 'सुनो मित्र आज पहले पहल तुमारी परीक्षा की जायगी॥

अबिलाइनो—(गंभीर स्वर से) "आज? भला वह कौन पुरुष है जिसपर मैं अपने ओजस्वी कर का प्रहार करूंगा और अपना जौहर दिखलाऊंगा।"

माटियो—यदि सच पूछो तो वह एक नवयौवना युवती है, परन्तु नवशिक्षित मनुष्यको आदि में कठिन कार्य न देना चाहिये। मैं स्वयं तुमारे साथ चलकर देखूँगा, कि तुम इस पहली परीक्षा में कैसा उतरते हो।

इस पर अबिलाइनो ने हूँ हूँ कह कर माटियो को एकदृष्टि से नख शिख तक तोला।

माटियो—आज चारबजे तुम डालाविलाके रम्योपवन में जो वेनिस की दक्षिण दिशा में है मेरे साथ चलो। हम तुम दोनों स्वरूप बदल लेंगे। उस उपवन में उत्तमोत्तम तड़ाग