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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/४६

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षष्ठ परिच्छेद
 

निर्मित हैं जहाँ महाराज की भ्रातृजा कोमलाङ्गी किशोरवयस्का रोज़ाविला मज्जन कर प्रायः एकाकी बिहरती फिरती है। बस अब शेष विषय समझ जाओ,,॥

अविलाइनो―और तुम भी मेरे साथ चलोगे?

माटियो―मैं तुम्हारी प्राथमिक क्रिया का कौतुक अव- लोकन करने चलूँगा, इसी प्रकार में प्रत्येक व्यक्ति के साथ करता हूँ।

अबिलाइनो―आज कै इंच गहराब्रण मुझे लगाना होगा?

माटियो―अजी पूरा कटार तैरा देना चाहिये, पूरा कटार, उसकी मृत्यु होनी चाहिये पुरस्कार तो मनोभिलषित प्राप्त होगा। रोजाविला मरी और हम लोग आयुभर के लिये धनाढ्य और वैभववान हुये।

इसके उपरान्त और सब बातों की तत्काल मीमांसा हो गई और ज्यों ही घड़ियाली ने चार बजाया माटियो और अवि- लाइनो चल खड़े हुये। कियत काल में दोनों डोलाविला के उपवन में जा पहुँचे तो क्या देखते हैं कि उस दिन नियम के विरुद्ध बहुत से लोग परिभ्रमण के लिये आये हैं। प्रत्येक छाया वान कुञ्जों में स्त्री पुरुष बेढंग भरे हैं। रविशों पर वेनिस के प्रख्यात लोग टहल रहे हैं। प्रत्येक कोनों में प्रियतम और प्रेयसी निशागमन की प्रतीक्षा में उसासें भर रही हैं। और प्रत्येक दिशा से गाने और वाद्ययन्त्रों की मीठी मीठी सुरीली ध्वनि चली आती है। अबिलाइनां भी उस भीड़ में जा मिला। उसके शिर पर कृत्रिम आकुञ्वित केशों की एक बड़ी चमत्कार सम्पन्न टोपी रक्खी हुई थी जिसने उसकी आननाकृति के अवगुणों को छिपा लिया था वह उन बृद्ध मनुष्यों के समान जिन्हें गठिये का रोग होता है छड़ी टेकता शनैः शनैः सबों से मिलता जुलता चला जाता था। उसके