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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/६६

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नवम परिच्छेद
 

स्मरण था इस लिये वह नहीं चाहता था कि अपने ओष्ठों में दूसरे के चुम्बन की छूत लगाये। अतएव वह तत्काल अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ, और सिन्थिया का हाथ निज स्कन्धा से धीरता के साथ हटा कर कहने लगा "मेरी अच्छी सिन्थिया उन लोगों को जाकर जगा दो, मुझे इसी समय उनसे कुछ आवश्यक बातेँ करनी हैं।" सिन्थिया जाने में रुकी तब उसने डाँट कर कहा 'बस जाव।' सिन्थिया चुपचाप चली गई परन्तु द्वार पर पहुँच कर एक क्षण ठहरी और उँगली से अविलाइनो को धमकाया। अविलाइनों ने कुछ ध्यान न दिया और आयतन में धीरे धीरे टहलने लगा। उसको शिर स्कन्धों पर ढलका हुआ था और दोनों हाथ वक्ष-स्थल पर थे। सिन्थिया के जाने पर वह अपने मन में यों कहने लगा "धन्यवाद है कि पहली युक्ति ठीक उतरी और एक दुष्ट संसार में न्यून हुआ। मैंने उसका वधकर कोई पाप नहीं किया बरन एक बड़ा कर्त्तव्य पालन किया। ऐ! उत्कृष्ट और न्याय प्रिय जगदीश तू मेरी सहायता कर क्योंकि मेरे सामने एक अति दृढ़ और कठिन कार्य्य है (दुःख पूर्ण निश्वास भर कर) यदि मेरा यह कार्य्य सिद्ध हुआ और इसके पुरस्कार में रोजाबिला मुझको मिली! ऐ रोजाबिला? भला महाराज की भ्रातृजा अकिञ्चन अबिलाइनो को स्वीकार करेगी? हा हन्त! यह क्या दुर्विचार मेरे जी में समाया है, मेरी यह अभिलाषा कभी पूरी नहीं हो सकती। इसमें संदेह नहीं कि मुझसा सिड़ी दूसरा न होगा जो एक ही बार अव- लोकनसे मोहित हो गया। पर रोजाबिला ऐसी ही स्वरूपवती है जिसे देखने के साथ ही मनुष्य आसक्त हो जाय। रोजाबिला और वलीरिया ऐसी दो स्त्रियां जिसे प्यार करें उसके भाग्य का क्या पूछना। अच्छा, यद्यपि कि इस अर्थ का लाभ करना