दूसरों को देने के लिये तत्पर रहते हो यदि वह तुमको प्राप्त हो तो कदापि अप्रसन्न न होगे? मैं नहीं समझता कि तुम्हारा क्या अभिप्राय है? बतलाओ कि हमलोग अपना कार्य समाप्त करने पर करवाल प्रहार वा शूली के अतिरिक्त और किस पारितोषिक पाने की आशा कर सकते हैं, और हम स्वकार्यों का कौनसा स्मरण-चिन्ह इस लोक में छोड़ जा सकते हैं, इसके अतिरिक्त कि हमारा शव शुली पर लटकता हो और कर पग श्रृँखलबद्ध हों? मेरे निकट वसुन्धरा पृष्ट पर जिस व्यक्ति ने प्रतारकता की जीविका स्वीकार कर ली हो उसे मृत्यु से कभी न भीत होना चाहिये चाहे वह किसी मान्यभिषक के कर द्वारा हो अथवा पामर बधिक के। अतएव अब इन बुरे बिचारों को दूर कर के चित्तको स्वस्थ और व्यवस्थित करो।"
टामिसो―"यह कह देना तो सुगम है, परन्तु मेरे सामर्थ्य से इस समय सर्वथा बाहर है।"
पेट्राइनो―"मेरे तो दांत बज रहे हैं।"
बालजर―"परमेश्वर के लिये अबिलाइनो कुछ काल पर्य्यन्त मनुष्य गुण धारण करो, ऐसे समय में तुम्हारा परिहास असोमयिक और अनुचित ज्ञात होता है।"
सिन्थिया―"हाहन्त! बेचारा माटियो मारा गया।"
अबिलाइनो―वाह! वाह!! ए यह क्या? क्यों प्राणाधि- के सिन्थिया तुमको दूधमुख बालक बनते लज्जा नहीं लगती? आओ हम तुम फिर वही बार्त्तालाप प्रारंभ करें जो अभी तू इन लोगों के आगमन के प्रथम कर रही थी। आओ प्रियतमे! मेरे समीप बैठ जाओ और मुझे स्वकलित कपोलों का चुम्बन करने दो।"
सिन्थियो―"दूर हो मूंडीकाटे।"
अबिलाइनो―"प्रिये! क्या तुमने अपनी इच्छा को पलट