टामिसो―हमलोग डाकू हैं इसमें सन्देह नहीं, परन्तु इससे क्या? हम लोग सत्पुरुष हैं,-जो मनुष्य इसके बिरुद्ध कथन करे उसे मैं शैतान के हवाले करता हूँ। हाँ! इस समय हम लोगों को इतनी सावधानता अवश्य करनी चाहिये, कि अभी कतिपय दिवस पर्य्यन्त घर से हर पाँव न रक्खें, इसलिये कि हम पर कोई आक्रमण न करे अथवा हमसे अभिज्ञ न हो जावे क्योंकि मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि इस घटना के सं- घटित होने के कारण महाराज के गुप्तचर हम लोगों के अनु- सन्धान के लिये अवश्य छूटे होंगे। परन्तु ज्योंही यह हलचल दूर हो जाय हमको चाहिये कि पहले माटियो के नाशक को यम लोक गामा बनावै जिसमें कि दूसरे लोगों को डर हो जावे। इस पर सबाने स्वीकृति दिखलाई और मुक्त कंठ से कहा "धन्य बीरपुङ्गव धन्य! जीते रहो।"
पेट्राइनो―और मेरी अनुमति है कि आजसे टामिसो हम लोगों को स्वामित्व पद ग्रहण करे।
ष्ट्रजा "हां! माटियो के स्थान पर।"
फिर सबोंने उच्चस्वर से मिलकर कहा धन्य! धन्य!!
अविलाइनो―मैं भी इसका अनुमोदन करता हूँ, अतएव अब सम्पूर्ण बातों की मीमांसा हो गई।
दशम परिच्छेद।
माटियो के मारे जाने के द्वितीय दिवस डाकुओं ने अपने गृह के कपाट और पक्षकों को ब्योंड़ों और श्रृंखलो द्वारा अत्यन्त दृढ़ता के साथ बंद किया। वह दिवस उनका अत्यन्त चिन्ता और व्यग्रता में बीता। भय