और हमारे साथ चुपचाप चले चलो। यह सुनकर डाकुओं में से एक पुरुष बोला कि शस्त्र रखनेवाले और तुम्हारे साथ चलने वाले पर हमलोग धिक्कार शब्द का प्रयोग करते हैं और झट पुलीस के एक उच्चाधिकारी की करवाल उसने छीन ली। दूसरे लोगोंने अपनी बन्दुकें उठालीं और मैंने तत्काल फूँककर एकदी को शान्त कर दिया, जिसमें कोई मित्र और शत्रु को न पहचान सके। परन्तु फिर भी कलानाथ की कलकौमुदी गवाक्षों की झिलमिली के मार्ग से आती थी और उसका प्रकाश कुछ कुछ उस आयतन में प्रसरित था। मैंने अपने जी में कहा कि अब बात बेढब हुई क्योंकि यदि तुम इन लोगों के साथ पकड़ गये तो इनके सहयोगी समझ कर फाँसी दे दिये जाओगे। इस अनुमान के हृदय में अंकुरित होते ही मैंने अपनी कर- चाल को कोश में से निकाल कर फ्लोडोआर्डो पर चलाई परन्तु यद्यपि मैंने अपने जान तुला हुआ हाथ लगाया था पर उसने मेरा वार अपनी करवाल पर अत्यन्त स्फूर्ति के साथ रोका उस समय मैं उन्मत्तों समान लड़ने लगा परन्तु फ्लोडोआर्डो के अभिमुख मेरा चातुर्य्य और मेरी स्फूर्ति कुछ कार्य्यकर न हुई और उसने मुझको क्षत विक्षत कर दिया। क्षतग्रस्त होते ही मैं पीछे हट गया। संयोगतः उस समय दो लघु तुपकें छूटीं और मुझे उनके छूटने के प्रकाश में एक द्वार दृष्टिगोचर हुआ जिसे पदातिगण घेरना भूल गये थे। मैं उसी मार्ग से लोगों की दृष्टि बचा कर द्वितीय कोठरी में निकल गया और उसकी खिड़की के डण्डों को तोड़ कर नीचे कूद पड़ा। कूदने पर मुझे तनिक भी चोट न आई और मैं एक घेरे के भीतर से होता और कतिपय गृहोद्यान की भित्तियों को उल्लंघन करता हुआ नहर पर्यन्त जा पहुँचा। वहाँ मेरे भाग्य से एक नौका लगी हुई थी। मैंने नाविक को सेण्टमार्क तक पहुँचाने पर उद्युक्त
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