पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/१३२

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"मैंने अपने यौवन में लोक-भ्रमण किया है। गान्धार, पशुपुरी, स्वर्णद्वीप और गन्धर्वलोक देखा है। देव-कन्याओं तथा गन्धर्व-तरुणियों का हरण किया है। ऐसा हरण हमारा कुलधर्म है। इन सभी देव-गन्धर्व-बालाओं को भोगने में हम असुर समर्थ हैं; तब मागधी बाला को क्यों नहीं?"

सोमप्रभ को इधर-उधर करते देख कुण्डनी ने कहा—"अब वह क्या कहता है?"

असुर का अभिप्राय जान कुण्डनी ने कहा—"उससे कहो, मागधी बाला को देवी वर है। वह असुरों के लिए आगम्य और अस्पृश्य है।"

यही बात सोम ने कह दी। तब असुर ने कहा—"अच्छा, फिर यहां एक मागधी तरुणी है ही। इस पर असुरों की परीक्षा कर ली जाएगी।"

सोमप्रभ लाल-लाल आंखें करके शम्बर की ओर देखने लगा। कुण्डनी ने कहा—"अब उसने क्या कहा सोम?"

"वह पाजी कहता है, इसी तरुणी पर असुरों की परीक्षा कर ली जाएगी।"

कुण्डनी ने तनिक हंसकर कहा—"क्रुद्ध मत हो! उससे कहो, वह नागपत्नी है। यदि असुर इस परीक्षा में प्राण-संकट का खतरा उठाना चाहें, तो ऐसा ही हो।"

शम्बर ने क्रुद्ध होकर कहा—"वह बाला हंसकर क्या कह रही है रे मनुष्य?"

सोम ने कहा—"वह कह रही है, कि यदि असुर प्राण-संकट का खतरा उठाकर यह परीक्षण करना चाहते हों, तो ऐसा ही हो। परन्तु वह नागपत्नी है और स्वयं नागराज वासुकि उसकी रक्षा करते हैं।"

असुरराज ने मन्त्रियों से सलाह करके कहा—"इसकी जल्दी नहीं है मनुष्य! इस पर फिर विचार कर लिया जाएगा। अभी तू असुरपुरी में हमारा अतिथि रह।"

फिर उसने मन्त्रियों को सम्बोधित करके कहा—"आज इन मनुष्यों के लिए नृत्य पानोत्सव हो। सब पौरों को खबर हो। ढोल पीटे जाएं।"

फिर उसने सोम की ओर घूमकर कहा—"तुझे भय नहीं है; किन्तु यदि मागध बिम्बसार मित्रता की शर्त पूरी नहीं करेगा तो प्रथम इस मागध सुन्दरी को और फिर तेरी देवता के सामने बलि दूंगा। अभी तू जाकर आहार विश्राम कर।"

उसने बाण के समान पैनी दृष्टि से सोम को देखा और उंगली उठाई फिर असुर तरुणों से कहा—"इन मनुष्यों के शस्त्र हरण करके बन्धन खोल दो।"

असुरराज यह कहकर आसन से उठकर भीतर चला गया। बन्दीगण भी अपने आश्रय स्थल को लौटे।