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पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/१७७

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सम्राट् ने बाधा देकर कहा—"नहीं-नहीं... भगवन्! मधु की कुटिया मुझे बहुत प्रिय है और मधु उससे भी अधिक।"

"कदाचित् इसलिए कि वह साधु कम और सैनिक अधिक है।"

"भगवन्! मुझे मधु-जैसे सैनिकों की बड़ी आवश्यकता है!"

"तो सम्राट् जैसे प्रसन्न हों।"

तीनों गर्भ-गृह से बाहर निकले।