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"राजगृह में कुछ घटनाएं होने वाली हैं।"
"अच्छी या बुरी?"
"यह सम्राट् को समय पर मालूम होगा, परन्तु उन्हें दोनों ही प्रकार की घटनाओं को देखने की आशा रखनी चाहिए।"
"यही भगवत्पाद का मुझे आदेश है?"
"राजगृह में शीघ्र ही श्रमण गौतम पहुंचेंगे, वे सम्राट् को समुचित आदेश देंगे।"
भगवान् वादरायण फिर नहीं बोले। एकबारगी ही वे समाधिस्थ हो गए। इसी समय मधु ने कहा—"सम्राट के सैनिक आ पहुंचे हैं। वे सम्राट को अपना अभिवादन निवेदन कर रहे हैं।"
सम्राट् ने भगवान् वादरायण के चरणों में साष्टांग प्रणाम किया और चल दिए।