पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/२८

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बार भी पूछता हूं, जिन्हें मेरा प्रस्ताव स्वीकार हो वे चुप रहें।"

"साधु भन्ते! सब चुप हैं, तो तीसरी शर्त थोड़े संशोधन के साथ स्वीकार करके देवी अम्बपाली की तीनों शर्तें अष्टकुल का गण-सन्निपात स्वीकार करता है। मैं भी अभी नीलपद्म प्रासाद में देवी अम्बपाली से मिलकर सब बातें तय करने जाता हूं और कल इसके निर्णय की घोषणा कर दी जाएगी। आज संघ का कार्य समाप्त होता है।"

गणपति के आसन त्यागते ही एक बार तीव्र कोलाहल से संथागार का भवन गूंज उठा और सामन्तपुत्र तथा नागरिक भांति-भांति की बातें करते परिषद्-भवन से लौटे।