पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/४९३

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सेनापति को क्षण- क्षण सोमप्रभ से सहायता पाने की आशा थी । सेनापति के निकट ही सोम के स्थापित - धान्वन , वन्य , पार्वत दुर्गों में कोसलपति के पचास सहस्र भट छिपे हुए थे। परन्तु उनमें से एक भी आर्य भद्रिक की सहायतार्थ नहीं आया । जब एक पहर दिन शेष रह गया , तो आर्य भद्रिक सर्वथा निराश हो गए । इसी समय उन्हें सेनापति सोमप्रभ के युद्ध बन्द कर देने का समाचार मिला। आर्य भद्रिक मर्मान्तक वेदना से तड़प उठे और वे पांच धनुष पीछे हटकर खण्ड -युद्ध करने लगे । सेनापति सिंह ने समझा - अब जय निश्चित है। वे अपने नायकों को निरन्तर अन्त तक युद्ध जारी रखने का आदेश दे स्कन्धावार को लौट आए। अभी दो दण्ड दिन शेष था ।