पृष्ठ:शशांक.djvu/४०८

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उपसंहार सम्राट शशांक को कलिंग आए अठारह वर्ष हो गए। एक ऊँचे पहाड़ी दुर्ग के प्रासाद में राजर्षि शशांक पलंग पर लेटे हैं। उनके पास सत्तरह वर्ष का एक बालक बैठा है । गुप्तवंश के गौरव गीत कीज्ञमधुर ध्वनि दूर से किसी रमणीज्ञके कंठ से निकलकर आ रही है। सम्राट् कह रहे हैं— 'पुत्र , आदित्यसेन! अब तुम सयाने हुए । तुम सम्राट महासेन गुप्त के पोत्र हो । गुप्त वंश की रक्षा अब तुम्हारे हाथ में हैं। तुम्हारे पिता माघवगुप्त को गौरव की रक्षा वह मित्रता एक माया जाल मात्र हैं मगध में गुप्त वंश के पूर्ण प्रताप की घोषणा के लिए यह आवश्यक है कि थानेश्वर से किसी प्रकार का संबंध न रखा जाय । तुम्हारे पिता के किए यह न होगा । वह तुम्हारे हाथ से होगा । में तुम्हैं आशीर्वाद देता हूंँ, तुम गुप्तवंश के परम प्रतापी सम्राट होगें"।समाप्त