(७)
अन्योकनिकल्पद्रपहु , काव्यमिमांसा नेक ॥ १४ ॥
प्रस्ताघिकरतनाकरहु, बासवदता जानि ।
महासेन कादंबरी) महानाटकटु मानि ॥ १५ ॥
दसरूपक को आदि है, नाटक अपर प्रमानि ।
प्रहसन चंपू नाटिकां, भंड प्रसस्ति बखानि ॥ १६ ॥
वेद सान, रामायनों, तेत्र पुरानहु जोइ ।
वेदअंग उपैवेदनृ। धर्मसाबुत हो? ॥ १७ ॥
चित्रकाघ पुनि चित्र को फाइप नलोदय जानि ।
है पटऋतु उंपसंहति, वाकआपनहु मानि ॥ १८ ॥
पुनि विदधमुखमंडनौ, काव्य सुभाषितलेखि ।
सारंगधरपजंा कहौ, दसकुमार पुनि देखि ॥ १९ ॥
सालिहोत्र गज तुरंग को, बैदकजुत है सोइ ।
वरचारित नाटक वहुरि, भारत चंपू जोइ ॥ २० ॥
रामायन चंपू तथा) अनिध चंपू और ।
आनंदशृंदावन सहित, चंपू है सिरमौर ॥ २१ ॥
चंपू औीनरसिंह को, चल चंपू सुनि लेहु ।
पच--जुत काबू को, चम्पू नाम कहेई ॥ २२ ॥
प्रथम काव्य रघुवंस है, कालिदास कवि कीन ।
तीनि माघ कटिकृत सुभग, माघ बैस्य धन हीन ॥२३॥
सिरीहर मिश्र कियोनैध काव्य प्रबन ।
भारवि कियो किरात को, अर्थ बहुत जुत प)ि ।२४॥
मेघदूत संर्न फियो, कालिदास कवि तीन ।
बृहत्त्रयी खुशंस पुलि, साष नैध गीनि ॥ २५ ॥
१-, व्याकरण, निरुक्ल, ज्योति, निघंटु आदि । २धर्वेद
गांधचैयद आदि । ३-गंभीर ४ कुमारभघ ।