पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४

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परिशिष्ट
अवधेश पृष्ठ ३७८-३७९

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ये ५ और ६ नयर के अवधेश एक ही हैं।

श्रलम पृष्ठ ३८०

यह १७६० के लगभग हुए हैं । मुंशी देवीप्रसाद, जो

राजपूताने के एक प्रसिद्ध विद्वान और ऐतिहासिक लेखक माने जाते थे, उनके पास नालम और शेख के ५०० के लगभग छेद मौजूद थे। ग्रंथ कोई नहीं मिलता।

cउदयनाथ पृष्ठ १८५

इनका रचना-काल १७६१ है, इसलिये जन्मकाल १७११ न

होकर १७५० के लगभग होना चाहिए।

कवीन्द्र सारस्वत ब्राह्मण पृष्ठ ३८९

इनका जन्मकाल १६२२ नहीं, १६५० के लगभग होना चाहिए क्योकि यह शाहजहाँ के यहाँ थे । १६२२ में तो शाहजहाँ

का या इनका जन्म भी न हुआ होगा । इन्होंने १६८७ में समरसार ग्रंथ बनाया है।
कंवीन्द्र पृष्ठ ३८ड
इनका जन्मसंवत् १७३६ के लगभग होना चाहिए १८०४ गलत है ।
कालिदास त्रिवेदी पृष्ठ ३८
इनका जन्म-संवत् १७४६ अशुद्ध है । १७१० के लगभग

होना चाहिए। कारण, इन्होंने १७४५ में होनेवाली गोलकुंडा की लड़ाई का वर्णन औरंगजेब के साथ रहकर, प्रत्यक्षदर्शी की

तरह किया है ।
वाल कवि पृष्ठ ४०८
खोज से इनके रसिकानंद, राधामाधवमिलन और राधाक, ये ग्रंथ और मिले हैं ।
ज्ञानचन्द्र यती पृष्ठ ४१०
उनका जन्मकाल १८१३ और कविता-काल १८४० होना चाहिए ।