सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कवियों के जीवन चरित्र

३६३
 

४१ कलानिधि कवि (१) प्राचीन सं० १६७२ में उ० ।

ऐजन ४० सफ़ा ।

४२ कलानिधि कवि, (२), सं० १८०७ में उ० ।

इनका नखशिख बहुत सुंदर है ॥ ४४ सफ़ा ।।

४३ कुलपति मिश्र, सं० १७१४ मै उ० ।

इनकी कविता हज़ारे में है ॥ ४१ सफा ॥

४४ कारवेग फ़क़ीर, सं० १७५६ में उ० ।

ऐजन

४५ केहरी कांव, सं० १६१० मै उ० ।

महाराजा रतनसिंह के यहाँ थे । कविता में महाचतुर थे । ४१ सफ़ा ।।

४६ कृष्णसिंह बिसेन राजा भिनगा, ज़िले बहिराइच, सं० १६०६ में उ० ।

यह राजा काव्य में बहुत निपुण थे, और इस रियासत में सदैव कवि-कोविद लोगों का मान होता था। भैया जगतसिंह इसी वंश में बड़े नामी कवि हो गये हैं और शिव कवि इत्यादि इन्हीं के यहाँ रहे हैं। अभी भैया लोग खुद कवि हैं, और काव्य की चर्चा बहुत है, जैसा बुंदेलखण्ड और बघेलखण्ड के रईस अपना काल काव्यविनोद में व्यतीत करते हैं, वैसे ही इस रियासत के भाईबंद हैं || ४१ सफा ||

४७ कालिका कवि बंदीजन, काशीवासी वि० ।

सुन्दरीतिलक और ठाकुरप्रसाद के संग्रह में इनके कवित्त हैं । ४२ सफ़ा ॥

४८ काशीराज कवि श्रीमान् कुमार बलवानसिंहजू काशीनरेश

चेतसिंह महाराज के पुत्र, सं० १८८६ में उ० '

चित्र चंद्रिका नाम भाषासाहित्य का अद्भुत ग्रन्थ रचा है, जो देखने योग्य है || ४३ सफा ॥