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पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४३६

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a m कत्रियों के जीवनचरित्र ४१९ दोदा ॥ दिन भट्ट हाँ जाति को, निपट अधीन नदान । राजापद मो को दियो, महमदाह सुजान ॥ १ ॥ चारि हमारी सभा में, कोविद कवि मति चारु । सदा रहत आंनद बढ़े, रस को करत विचारु ॥ २ ॥ मिश्र रुद्रमनि विमगर, औौ सुखलाल रसाल । सतंजीव कु गुमान है, सोभित गुनन घिताल ॥ ३ ॥ १०५ सफ़ ॥ ३ जुगुल किशोर कधि ( १ )। नारस में कवित्त अच्छे हैं ॥ १०५ सफ़ा ॥ ४ जुगराज कत्रि । इनका बहुत ही सरस काव्य है ॥ १११ सफ़ा ॥ ५ जुगुल साद चौथे । इनकी बनाई हुई दोद्दावली बहुत सुंदर है : ११७ सफ़ा ॥ जुल कवि, सं० १७५५ में उ० । इन बनाये हुए पद अति अनूठे महाललित हैं । ११५ सफ़ा ॥ ७जानकीप्रसाद पबॉर जोहबेनकटीज़िले रायबरेली । ०ि । ये । यह कवि ठाकुर भवानीप्रसाद के पुत्र फ़ारसी संस्कृत भाषा इत्यादि विद्या में बहुत प्रवीण हैं । इन बनाये हुए बहुत ग्रन्थ हमारे पास हैं । उर्दू ज़बान में शादनामा ( अर्थात् हिन्दुस्तान की तारीख ), और भाषा में रघुवीरध्यानावती, रामनवरत, भगवती विनयरामनिवासरामायण, रामानंदविहार) नीतिघितासये सात ग्रन्थ हैं । चित्रकाव्य और शतरस के वर्णन में बहुत अच्छे हैं । सहनशीलता उदारता भी बहुत है : १०७ संफ़ा ॥