देहांत हुआ, और इस देश के रईसों के भाग फूट गये।। १३४ सफ़ा ।। दिए कवि, पण्डित मन्नालाल बनारसी विद्यमान हैं। नके कवित्त सुंदरीतिलक में हैं ।। १३५ सफ़ा ॥ १६ द्विजनन्द कवि । १४५ सफ़ा । २० द्विजनन्द कवि ५४ स०। २१ दिलदार कवि, सं० १६५० में उ० । हज़ारा में इनका काव्य है ॥ १३१ सफ़ा ॥ २२ हिजराम कवि । १४० सफा ॥ २३ दिलाराम कवि । १३८ सफा ॥ २४ दिनेश कवि । इनका नखशिख बहुत ही विचित्र है ॥ १३८ सफ़ा ॥ २५ दीनदयालगिरि बनारसी, सं० १६१२ में उ० । यह कवि संस्कृत के महान् पएिडत थे । भाषा-साहित्य में अन्योझिकल्पद्म नाम ग्रन्थ बहुत ही सुन्दर बनाया है । अनुराग- वाग और बागवहार, ये दो अन्य ग्रन्थ भी इनके बहुत विचित्र हैं।। १४० सफ़ा। २६ दीनानाथ कधि बुंदेलखंडी, सं० १६११ में उ । कवित्त अच्छे हैं ॥ १३२ सफ़ा ॥ २७ दुर्गा कवि, सं० १८६० में उ० । १३६ सफ़ा ॥ २८ दुलह त्रिवेदी बनपुरावाले कविंदजी के पुत्र सं० १८०३ में उ। इनका बनाया हुआ । कधिकुलकएटाभरण नाम ग्रन्थ भाषा साहित्य में बहुत प्रामाणिक है ॥ १४४ सफ़ा ॥ (१)
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