फुहारा मेघमाला से, इस कवित्त पर रजा सुखमानसिंह ने दत्त जी को बहुत दान दिया था ॥ १४७ सफ़ा ॥ १२ दास,भिखारीदास कायस्थ अरवतबुंदेल खंडी,स० १७८०में उ०। यह महान् कवि भाषासाहित्य के आचार्य गिने जाते हैं । छन्दो एंब नाम पिंगल, रससारांश, काव्यनिर्णय, झारनिर्णय, बागवहार, ये पाँच ग्रन्थ इनके बनाये हुए अति उत्तम काव्य हैं ।। १३२ सफ़ा ॥ (१) १३ दास (२) बेनीमाधवदास, पसका, जिले गोंडा, सं० १६५५ में उ० यह महात्मा गोस्वामी तुलसीदासजी के शिष्य उन्हीं के साथ रहते रहे हैं, और गोसाईजी के जीवनचरित्र की एक पुस्तक गोसांईचरित्र नाम बनाई है । संवत् १६६६ में देहान्त हुआ ॥ १३१ सफ़ा ॥ १४ दान कवि । शृंगार की सरस कविता है ॥ १३ सफ़ा ॥ १५ दामोदरदास ब्रजवासी, सं० १६०० में उ० । इनके पद रागसागरोदव में हैं ।। १५० सफ़ा ॥ १६ दामोदर कवि (२)। १३१ सफ़ा ॥ १७ द्विजदेव, महाराज मानसिंह शाकद्वीपी अवधनरेश, सं० १९३० में उ० । यह महाराज संस्कृत,भाषा, फ़ारसी, अँगरेज़ी इत्यादि विद्यायो में महानिपुण थे। प्रथम संवत् १६०७ के करीब इनको भाषा काव्य करने की बहुत रुचि थी । इसी कारण श्रृंगारलतिका नाम एक ग्रंथ बहुत सुन्दर-टीका सहित बनाया। इनके यहाँ ठाकुरप्रसाद, जगन्नाथ,बलदेवसिंह इत्यादि महान् कावि थे । अंन्त में इन दिनों अब कानून- अंगरेजी का शौक हुआ था। संवत् १६३० में
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