शिवा बाकी छूटत कमान और गोली तीर बानन के, होत कग्निाई मुरथानहू की ओट में । ताही समय सिवराज हाक मारि हल्ला किया, .. दावा बांधि परा हल्ला बीर वर जोट में ॥ भूषन भनत तेरी हिम्मति कहां लौ कहों, किम्मति यहां लगि है जाकी भट झोट में। ताव दै दै छन कँगूरन पै पांव दै दै अरि, मुख घाव दै दै कूदि परे कोट में ॥२३॥ भाषार्थ जब मुसल्मानों के बाणों और गोलियों की वर्षा से मोरचों की आड़ में भी बचना कठिन हो रहा था, उस समय महाराजा शिवाजी ने ललकार कर हमला कर दिया और शूरवीरों के बीच में घोर हाहाकार मच गया। हे वीर घर शिवाजी, आपके साहस का वर्णन कहां तक की बीरों के समूह में श्राप का यश इतना फैला हुआ है कि आप को देखते ही निःसाहस मरहट्ठ लोग बड़ी ही उमंग से मंछ मरोरते हुए कंगूरों पर चढ़ कर शत्रुभों पर प्रहार करने लगे हैं और उनके किले में कूद पड़े हैं। टिप्पणी कमान धनुष । एला=(१) हमला, आक्रमण; (२) शोर, हाहाकार । जोर-जोड़, बीच । झोट-समूह ।
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