पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/४३

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शिवा बावनी

शिवा बावनी उससे मेल करने का विचार न छोड़ो और जान बूझकर उस मार्ग पर न दौड़ो, जहाँ दीवार की टकर लगे। टिप्पणी यहां लोकोक्ति अलङ्कार है जहां पर किसी कहावत को रख कर कोई बात कही जाती है, वहां लोकोक्ति अलङ्कार होता है। यहां 'सोवत सिंह न जगाओ, 'भुजंग के मुख में कर न मावो' और 'दिवाल की राह न पायो' आदि कहावतों का प्रयोग किया गया है। यह छन्द माजती-सवैया है- इसका लक्षण छन्द २६ में दिया गया है। ___ जनिम्मत । नावो डालो । एदिल-आदिलशाह, बीजापुर का शासक । लौं-तमान । सुलाह-सन्धि, मेल । नाह-नाथ, पति । छप्पय विज्ञपूर' विदनूर' सूर सर धनुष न संधहिं। मंगल बिनु मल्लारि नारि धम्मिल नहिं बंधहिं॥ गिरत गम्भ कोटे गरम्भ चिंजी चिंजा डर। चाल' कुंड दल कुंड गोल कुंडा संका उर ॥ भूषन प्रताप सिवराज तव इमि दच्छिन दिसि संचरै। मधुराघरेस' धक धकत सो, द्रविड़ निबिड़ डर दवि डरै ॥३१॥ (१) बीजापुर। (२) एक स्थान जो गुजरात में था। (३) मलावार देश । (४) चाल कंड एक बन्दरगाह है, इसके पास सन् १५३१ ई० में ईसाइयों ने एक किला बनवाया था।