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पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/४७

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शिवा बावनी

शिवा बावनी धाक बलख, बुखारा, काशमीर, रूम और शाम के घर घर में बैठ गई है। टिप्पणी हदसनिःहर (हदसना से)। हवसाने हबसी लोगों का देश (अफ्रीका)। दरगाह दरबार । खरभरी खलबली, घबड़ाहट । गमण को दावा सदा नाग के समूह पर, दावा नाग जूह पर सिंह सिरताज को। दावा पुरहूत को पहारन के कुल पर, · पच्छिन के गोल पर दावा सदा बाज को। भूषन अखंड नव खंड महि मंडल में, तम पर दावा रवि किरन समाज को। पूरब पछाँह देश दच्छिन ते उत्तर लौं, जहाँ पातसाही तहाँ दावा सिवराज को ॥३४॥ मावार्थ जैसे गरुड़ का सदा सपों के झुंड पर, महाबली सिंह का हाथियों के समूह पर, इन्द्र का पहाड़ों पर, बाज का पति-संघ पर और सूर्य की किरणों का नवद्वीप और सारी पृथ्वी के अंधकार पर आधिपत्य है, उसी प्रकार महाराजा शिवाजी का--पूर्व ले पच्छिम तथा उत्तर से दक्षिण तक जहाँ जहाँ बादशाही है, तहाँ तहाँ-प्राधिपत्य है।