पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/५५

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शिवा बावनी

शिवा पावनी .. .. ....................more पर भूषण ने निवेदन किया कि 'सुनिये, चिरंजीव शिवा जी ने मुसल्मानों का घमंड हर कर ब्राह्मणों को भोजन करा यश प्राप्त किया है। आप उसके डर के मारे रणभूमि में नहीं जाते और वह आपके मंत्रियों को अपने अधीन करके छोड़ देता है। इससे यही निर्णय होता है कि कायर कायर ही है और सरजा सरजा ही है अर्थात् तुम कायर हो और शिवा जी सिंह के समान वीर है।" टिप्पणी खुमान-चिरंजीव । श्ररजा-अर्ज की। करि परजा-प्रजा बनाकर। निबेरो=निर्णय । सरजा सिंह के समान वीर शिवाजी । कोट गढ़ ढाहियतु एकै पातसाहन के, एकै पातसाहन के देस दाहियतु है। भूषन भनत महाराज सिवराज एकै, साहन की फौज पर खग्ग बाहियतु है । क्यों न होहिं बैरिन की बैरि बधू बौरी सुनि, दौरनि तिहारे कही क्यों निवाहियतु है। रावर नगारे सुने बैर बारे नगरन नैन, बारे नदन निवारे चाहियतु है ॥४१॥ भावार्थ भूषण कहते हैं, हे महाराज शिवा जी, आप किसी बाद- शाह के किलों को गिराते हैं, किसी के देश को जला कर भस्म