पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/१६

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SATAma r -4-imanam - annarkar - inamurture - 4- 3 +श्री श्री अयोध्यासरयूभ्यां नमः । र श्रीसीताराम ओ३म नमो भगवते हनुमते श्रीरामदूताय । श्रीमते रामानन्दाय नमः ।। HBHAHIMiliMBINIDHI अथ श्रीभक्तमाल सटीक (तथा सतिलक) Care दो० "भक्त, भक्ति, भगवन्त, गुरु, चतुर नाम वयु एक । इनके पद बंदन किये, नाशहिं विघ्न अनेक ॥" अथ टीकाकर्ता श्रीप्रियादासजी का मंगलाचरण तथा प्राज्ञानिरूपण । (१) कवित्त ( ५४२) महाप्रभु “कृष्णचैतन्य", मनहरनजू के चरण को ध्यान मेरे, नाममुख गाइयै । ताही समय “नानाजू” ने आज्ञा दई, लई धारि, टीका विस्तारि भक्तमाल की सुनाइयै ।। कीजिये कवित्त बंद छंद अति प्यारो लगै, जगै जगमांहि, कहि, वाणी बिरमाइयै । जानों निजमति, ऐपै सुन्यों भागवत शुक द्रुमनि प्रवेश कियौ, ऐसेई कहाइये ॥ ॥ (६२८) ___अथ “भक्तिसुधास्वाद" वार्त्तिक तिलक। ॐ नमो भगवते हनुमते श्रीरामदूताय । श्रीचारुशीलादेव्यै नमः। श्रीचन्द्रकलादेव्यै नमः । श्रीअग्रअलीदेव्यै नमः । श्रीश्यामनायिकायै नमः। श्रीहंसकलायै नमः ॥ (श्लोक ) “यं प्रव्रजंतमनुपेतमपेतकृत्यं