पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२९

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विभाव ++ रस R अनुभाव सात्त्विकभाव विपयालम्बन | आश्रयालम्बन उद्दीपन व्यभिचारी | स्थायीभाव भाव कमनीयता, वसन्त ३३ भाव + रस सिन्धु, |३ प्रलय प्रियतम पदरति, मनोहर छवि की अचला ++ante कोकिलकूक, रस, "शृंङ्गार" माधुयं-प्रेम- श्रीजनक- किशोरी जी रूपमाधुर्य "उज्ज्व ल" कमनीय किशोर मूत्ति, प्राणवल्लभ, "दम्पत्ति" श्रीजानकी- जीवन, "रसराज" | रामचन्द्र, वा शोभाधाम, रसपंज |यविसिन्धु त्रिविध पवन, पावस, श्रीकिशोरी १ रोमाच जी का २ स्तम्भ सकल्प, प्रियतम का |४ स्वेद मदस्मित |५ विवर्ण भ्रूविक्षेप ६ कम्प स्पर्श. ७ अश्रु कटाक्ष, | कर मे कर, नयन में नयन, &c. (पृष्ठ १५ मे देखिये सुरति, - (SS R S B P. EK) कटाक्ष, भावना, प्रीति, प्रणय। मुस्क्यान, वचन, शील, परम शोभा, - श्रीभक्तमाल सटीक &c ++