पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( कोई कंद नही ) II. अपर (किसी रस पर निर्भर नही ) रस भेद से बेखबर ॥ वेद और लोक सब salsans ARTA Varosa प्रियतम Beloved stab Jindal, रसवाहिद् से बेखवर न कोई अपना न कोई भी पर ॥ areranaasarameterreramripurarmantaru रत, प्रेमपागल, प्रेममग्न, अनन्य Lover निज पराअनुरक्ति "जह तह दीख धरे धनुबाना" सुधि हीन, असली परमहस Tee God The Love सुखराम चराचररूप k ayay Love रति, दशा व्यापक एक, एकरस व्यापक wolasa sex in an antiya porn ""tten sibly- भक्तिसुधास्वाद तिलक । n NeAE UNRELyr) सुच्चा, पक्का प्रेम ।। Lorder सच्चिदानन्द, आनन्दकन्द अखण्ड sairat Margas ehreचराचररूप - hrsa ayana "जाहि न जानत बेद" HA byajinaseksi Magarpleasutiya "रामकृपा पावै कोइ कोई" "सीयराममय सब जग जानी" इत्यादि Masoolutiledisxy emathun - --14-04- "यह गुण साधन ते नहिं होई" --


२५