पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/५११

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४९२ श्रीभक्तमाल सटीक । (७५) श्री ६ पीपाजी की कथा। ( ३४२ ) छप्पय । ( ५०१ ) पीपा प्रताप जग बासना नाहर कौं उपदेश दियो। प्रथम भवानी भक्त मुक्ति माँगन कौं धायो। सत्य कह्यो तिहिं शक्ति,सुदृढ़ हरिशरण बतायो॥ श्रीरामानंद पद पाइ, भयो अतिभक्ति की सीवाँ । गुण असंख्य निर्मोल सन्त धरि राखत ग्रीवाँ ॥ परसि प्रणाली सरस भई, सकल विश्व मंगल कियो। पीपा प्रताप जग बासना नाहर कौं उपदेश दियो ।६१॥ (१५३) वात्तिक तिलक। श्रीपीपाजी का प्रताप जगत में विदित है, आपके सुयश की वासना संसार में फैल रही है, एक वासना-नाहर ने भापका उप- देश ग्रहण किया। प्रथम श्रीपीपाजी श्रीदेवीभवानीजी के भक्त रहे, एक समय शीघ्रतायुक्त मन्दिर में जा पूजा ध्यान करके मुक्ति माँगी, महामन उपदेश के साथ, स्वामी अनन्त श्रीरामानन्दजी महाराज का कृपापात्र होना प्रसिद्ध ही है, इसी भॉति हिन्दू तुरुक दोनो ही से सम्बध के कारण श्रीकबीरजी के वचनो से दोनो के कल्याण की इच्छा और दोनो ही पर आपकी बडी ही कृपा पाई जाती है। कहते है कि आपने "वीजक" को सवत् १४६७ विक्रमी में स्वामी श्री १०८ रामानन्दजी महाराज के परधाम के अनन्तर, १६ वर्ष की अवस्था में प्रारम्भ किया था। "जो कवीर काशी मर, रामहिं कौन निहोर?" दोहा-भजन भरोसे रामके, मगहर तजे शरीर । अबिनाशी को गोद मे, विलसे दास कबीर ॥ Doctor Hunter, M.AL LD, K.C.IE,CSI जो आपका जन्म सन् १३८० ई० मे लिखते है, उनके अनुसार भी, आप सन् १३९५ और १४१९ ई० मे इस मृत्युलोक मे वर्तमान थे ।। ___* "वासना-नाहर"=एक प्रकार का नाहर ( च्यान) कि जिसको बहुत दूर से मनुष्य । आदि की वासना ( गन्ध ) पहुँच जाती है । भजन भाको गोद में C.IE,