पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/६६७

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+1 +91andinguperH MAtm- saram A mita +ANIMH- श्रीभक्तमाल सटीक। रंग बदल दिया। तुम चिंता न करो, तुम्हारी रक्षा के हेतु मैं घोड़े समेत तुम्हारे राजा के पास चलता हूँ।" यह कहकर राजा के पास श्रा, आपने अपना सब वृत्तांत सुना दिया। चरणों पर पड़ राजा से बहुत सा द्रव्य और वह घोड़ा भी श्रीघाटमजी को दिया, सब ले जाकर आपने श्रीगुरुजी को अर्पण किया । श्रीहरिगुरुभक्ति का ऐसा प्रभाव और प्रताप है ।जय ॥ (५०८) छप्पय । (३३५) भक्तपाल दिग्गज भगत, ए थानाइत सूर धीर॥ देवानन्द, नरहरियानन्द, मुकुन्दै महीपति संतराम तम्मोरी । खेम, श्रीरंग, नंद, विस्नु, बीदी, बाजूसते, जोरी ॥ छीतम, द्वारिकादास, माधव, मांडन, रूपा, दामोदरें। भल नरहरि, भगवान, बाल, कान्हरै, केसी, सोहैं घर ॥ दास प्रयागें,लोहंग, गुपाल, नागू सुत, गृह भक्कभीर । भक्तपाल दिग्गज भगत, ए थानाइत सूर धीर ।। १००॥(११४) वात्तिक तिलक। ये महा भगवद्भक्त दिग्गजों के समान स्थानाधिपति, परम सूर धीर सब भक्तों के पालनेवाले हुए--- १ श्रीदेवानन्दजी | श्रीबाजूजी २ श्रीनरहरियानन्दजी १० श्रीबींदाजी ] बाजूजी के ३ श्रीमुकुन्दजी ११ श्रीविष्णुजी दोनों पुत्र ४ श्रीमहीपतिजी १२ श्रीछीतमजी ५ श्रीसन्तरामजी | १३ श्रीदारिकादासजी ६ श्रीखेमजी १४ श्रीमाधवजी ७ श्रीश्रीरंगजी १५. श्रीमाण्डनजी ८ श्रीनन्दजी , १६ श्रीरूपाजी