पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/९२७

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९०८ श्रीभवतमाल सटीक माधवदास कई हुए हैं-- ७ माधवदास भगवत् रसिकजी के १ श्रीमाधवदास जिनका वन अग्नि पिता। में न जला। ८ माधवदास दादूजी के शिष्य । २ श्रीमाधवदासजीजगनाथपुरीय। माधवमह काश्मीरी। ३ श्रीमाधवदास साधुसेवी। १० माधवदास(मीरमाधव)काबुली ४ माधवदास गदा के। ११ माधवदास कायस्थ सहारनपुर- ५ माधवदास बरसानेवाले। वाले॥ ६ माधवदास कपूर खत्री। इत्यादि (२२३) श्रीकन्हरदासजी। (८११) छप्पय । (३२) बूडिऐ बिदित, “कन्हर" कृपाल, आत्माराम, आगम- दरसी॥ कृष्णभक्ति को थंभ, ब्रह्मकुल परम उजागर। क्षमासील, गंभीर, सर्व लच्छन को आगर ॥ सर्वसु हरि- जन जानि, हृदै अनुराग प्रकासै। असन, वसन, सनमान करत, अति उज्ज्वल आसै ॥ “सोभूराम"प्रसादतें, कृपा- दृष्टि सब पर बसी। बूड़ि ऐ विदित, "कन्हेर" कृपाल, आत्माराम, आगमदरसी ॥१६॥ (२३) वात्तिक तिलक । बुड़िया ग्राम में श्रीकन्हरदासजी जगविख्यात्, परमकृपाल, अपने आत्मा में रमण करनेवाले, श्रागमदर्शी अर्थात् भविष्य जानने- वाले हुये । श्रीकृष्णभक्तिरूपी गृह के स्तंभ (खंभा) अाधार के समान, ब्राह्मण कुल में उत्पन्न, अति प्रकाशमान, क्षमाशील, गंभीर, सर्व शुभ लक्षणों के स्थान हुए। श्रीहरिभक्तों को हृदय में अपना सर्वस्व जान, अतिशय प्रेम करते, खान पान वनादि देकर अति सम्मान करते थे, १-एक श्रीकन्हरजी, विट्ठलदास चौबे के पुत्र थे । और ये श्रीकन्हरदासजी ज्ञानी भक्त थे ।