पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/९७५

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श्रीभक्तमाल सटीक । भक्तमाल सटीक के भक्तिसुधास्वाद तिलक के प्रकाशक की संक्षिप्त जीवनी सचित्र । श्रीसीतामढ़ी जिला मुजफ्फरपूर पाम बुलाकीपुर में ऐठाना कायस्थ बाबू बलदेवनारायणसिंहजी का जन्म संवत् १९१७ के फाल्गुन में हुना । मापने सन् १८८२ में एन्टेन्स पास किया। मुजफरपुर एक्सदा सबजज्ज की कचहरी में पेशकार और सर १८८३ में गया अडिश्नल सबजज के सरिश्तेदार बहाल हुए। १८८६ में नौकरी छोड़, तारीख ६ अगस्त से गयाजी में वकालत करने लगे। गयाजी में भी एक उमदा मकान और वाटिका है आपके पुत्र नहीं परन्तु दो लड़कियाँ हैं। (२) बाबू बलदेवनारायणसिंहजी श्रीरामानन्दीय वैष्धव थे। थापने तीर्थाटन भी किया था । वकालत छोड़ श्रीअयोध्यावास करने लगे। श्रीस्वर्गद्वार का रूपकला कुञ्च भी श्रापही का वनवाया हुया है । आपके "रुक्मिणी बल्देवफण्ड" से उसकी मालगुजारी अदा और मरम्मत होती है । इसको श्रीरूपकलाजी के निमित्त वकफ कर दिया है। . ' (३) श्रीभक्तमाल सटीक, सतिलक को श्रापही ने श्रीकाशीजी में छपवाकर प्रकाशित किया। श्रीअयोध्याजी ही में १९८२ संवत् में आप परमधाम गये । आप बड़े धर्मात्मा, विवेकी, उदार और भजनानन्द और विशेषतः नामानुरागी थे । इनका चित्र यह है ॥