पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/१३७

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PORNERMARATHIRT शांकरभाष्य अध्याय ४ १२१ द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे । स्वाध्यायज्ञानयज्ञाश्च यतयः संशितव्रताः ॥२८॥ द्रव्ययज्ञाः तीर्थेषु द्रव्यविनियोग यज्ञबुद्ध्या जो यज्ञबुद्धिसे तीर्थादिमें द्रव्य लगाते हैं वे द्रव्य- कुर्वन्ति ये ते द्रव्ययज्ञाः। यज्ञा. यानी द्रव्य-सम्बन्धी यज्ञ करनेवाले हैं। तपोयज्ञा ये तपस्विनः ते तपोयज्ञाः, योगयज्ञाः जो तपस्वी हैं वे तपोयज्ञायानी तपरूप यज्ञ करने- प्राणायामप्रत्याहारादिलक्षणो योगो यज्ञो वाले हैं। प्राणायाम-प्रत्याहाररूप योग ही जिनका येषां ते योगयज्ञाः। यज्ञ है वे योगयज्ञाः यानी योगरूप यज्ञ करनेवाले हैं। तथा अपरे स्वाध्यायज्ञानयज्ञाः च स्वाध्यायो वैसे ही अन्य कई स्वाध्याययज्ञ और ज्ञानयज्ञ यथाविधि ऋगाद्यभ्यासो यज्ञो येषां ते करनेवाले भी हैं । जिनका यथाविधि ऋग्वेद आदिका अभ्यासरूप स्वाध्याय ही यज्ञ है, वे स्वाध्याययज्ञ स्वाध्याययज्ञा ज्ञानयज्ञा ज्ञानं शास्त्रार्थपरि- करनेवाले हैं और शास्त्रोंका अर्थ जाननारूप ज्ञान ज्ञानं यज्ञो येषां ते ज्ञानयज्ञाः च । जिनका यज्ञ है वे ज्ञानयज्ञ करनेवाले हैं। यतयो यतनशीला संशितव्रताः इसी तरह कई यतशील संशित व्रतवाले हैं। जिनके व्रत-नियम अच्छी प्रकार तीक्ष्ण किये हुए सभ्यक्शितानि तनूकतानि तीक्ष्णीकृतानि यानी सूक्ष्म-शुद्ध किये हुए होते हैं वे पुरुष संशित- व्रतानि येषां ते संशितव्रताः ॥२८॥ व्रत कहलाते हैं ॥२८॥ कि च- तथा- अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे । प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः ॥ २६ ॥ अपाने अपानवृत्तौ जुह्वति प्रक्षिपन्ति प्राणं (कोई ) अपानवायुमें प्राणवायुका हवन करते प्राणवृत्तिं पूरकाख्यं प्राणायाम कुर्वन्ति इत्यर्थः। हैं अर्थात् पूरक नामक प्राणायाम किया करते हैं । प्राणे अपानं तथा अपरे जुह्वति रेचकाख्यं वैसे ही अन्य कोई प्राणमें अपानका हवन करते च प्राणायाम कुर्वन्ति इति एतत् । हैं अर्थात् रेचक नामक प्राणायाम किया करते हैं । प्राणापानगती मुखनासिकाम्यां वायोः 'मुख और नासिकाके द्वारा वायुका बाहर निकलना निर्गमनं प्राणस्य गतिः तद्विपर्ययेण अधोगमनं प्राणकी गति है और उसके विपरीत (पेटमें) नोचेकी ओर जाना अपानकी गति है । उन प्राण और अपान अपानस्य ते प्राणापानगती एते रुद्ध्वा निरुध्य दोनोंकी गतियोंको रोककर कोई अन्य लोग प्राणायाम- प्राणायामपरायणाः प्राणायामतत्पराः कुम्भकाख्यं परायण होते हैं अर्थात् प्राणायाममें तत्पर हुए वे प्राणायाम कुर्वन्ति इत्यर्थः ॥२९॥ केवल कुम्भक नामक प्राणायाम किया करते हैं ॥२९॥