पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/८५

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शांकरभाष्य अध्याय ३

न च अर्जुनस्य एव ज्यायसी बुद्धिः न ऐसी तो कल्पना की ही नहीं जा सकती कि अनुष्ठेया इति भगवता उक्तं पूर्वम् इति भगवान्ने पहले ऐसा कह दिया था, कि उस श्रेष्ठ कल्पयितुं युक्तम्, येन 'ज्यायसी चेत्' इति ज्ञानका अनुष्ठान अर्जुनको नहीं करनाचाहिये, जिससे प्रश्न: स्यात् । कि, अर्जुनका ज्यायसी चेत्' इत्यादि प्रश्न बन सके। यदि पुनः एकस्य पुरुषस्य ज्ञानकर्मणोः हाँ, यदि ऐसा हो कि ज्ञान और कर्मका परस्पर विरोधाद् युगपद् अनुष्ठानं न संभवति इति विरोध होनेके कारण एक पुरुषसे एक कालमें भिनपुरुषानुष्ठेयत्वं भगवता पूर्यम् उक्तं (दोनोंका) अनुष्ठान सम्भव नहीं, इसलिये भगवान्- स्यात् ने दोनोंको भिन्न-भिन्न पुरुषोंद्वारा अनुष्ठान करने- ततः अयं प्रश्नः उपपन्नः 'ज्यायसी चेत्' के योग्य पहले बतलाया है तो 'ज्यायसी चेत्' इत्यादिः। इत्यादि प्रश्न बन सकता है। अविवेकतः प्रश्नकल्पनायाम् अपि भिन्न- यदि ऐसी कल्पना करें कि 'अर्जुनने यह प्रश्न पुरुषानुष्ठेयत्वेन भगवतः प्रतिवचनं न | अविवेकसे किया है तो भी भगवान्का यह उत्तर उपपद्यते। देना युक्तियुक्त नहीं ठहरता कि, ज्ञाननिष्ठा और कर्मनिष्टा दोनों भिन्न-भिन्न पुरुषोंद्वारा अनुष्ठान की जानेयोग्य हैं। न च अज्ञाननिमित्तं भगवत्प्रतिवचनं भगवान्के उत्तरको अज्ञानमूलक मानना तो कल्प्यम् । (सर्वथा) अनुचित है। असात् च भिन्नपुरुषानुष्ठेयत्वेन ज्ञानकर्म- अतएव भगवान्के इस उत्तरको कि 'ज्ञाननिष्ठा निष्ठयोः भगवतः प्रतिवचनदर्शनात्, ज्ञान- और कर्मनिष्ठाका अनुष्टान करनेवाले अधिकारी कर्मणोः समुच्चयानुपपत्तिः। भिन्न-भिन्न हैं, देखनेसे यह सिद्ध होता है कि ज्ञान- कर्मका समुच्चय सम्भव नहीं। तसात् केवलाद् एव ज्ञानात् मोक्षः इति इसलिये गीतामें और सब उपनिषदोंमें यही निश्चित एषः अर्थों निश्चितो गीतासु सर्वोपनिषत्सु च। अभिप्राय है कि केवल ज्ञानसे ही मोक्ष होता है । ज्ञानकर्मणोः एकं वद निश्चित्य इति च यदि दोनोंका समुच्चय सम्भव होता तो ज्ञान एकविषया एव प्रार्थना अनुपपन्ना उभयोः | और कर्म इन दोनोंमेंसे एकको निश्चय करके कहो, समुच्चयसंभवे । इस प्रकार एक ही बात कहनेके लिये. अर्जुनकी प्रार्थना नहीं बन सकती। 'कुरु कमैव तस्मात्त्वम्' इति च ज्ञाननिष्ठा- इसके सिवा 'कुरु कमैच तस्मात्त्वम्' इस निश्चित संभवम् अर्जुनस्य अवधारणेन दर्शयिष्यति । कथनसे भगवान् भी अर्जुनके लिये (आगे) ज्ञान- निष्ठा असम्भव दिखलायेंगे। अर्जुन उवाच- अर्जुन बोला-