पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/८६

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श्रीमद्भगवद्गीता ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन । तरिक कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव ॥१॥ ज्यायसी श्रेयसी चेद् यदि कर्मणः सकाशात् ! हे जनार्दन ! यदि कर्मोकी अपेक्षा ज्ञानको ते तव मता अभिप्रेता बुद्धिः ज्ञानं हे जनार्दन । आप श्रेष्ठ मानते हैं (तो हे केशव ! मुझे इस हिंसा- रूप क्रूर कर्म में क्यों लगाते हैं ? ) यदि बुद्धिकर्मणी समुचिते इष्टे तदा एक यदि ज्ञान और कर्म दोनोंका समुच्चय भगवान्- श्रेयःसाधनम् इति कर्मणो ज्यायसी बुद्धिः को सम्मत होता तो फिर 'कल्याणका वह एक इति कर्मणः अतिरिक्तकरणं बुद्धेः अनुपपन्नम् साधन कहिये' 'कमोंसे ज्ञान श्रेष्ठ हैं' इत्यादि अर्जुनेन कृतं स्यात् । वाक्योंद्वारा अर्जुनका ज्ञानसे कर्मोको पृथक करना अनुचित होता। न हि तद् एव तस्मात् फलतः अतिरिक्तं क्योंकि ( समुच्चय-पक्षमें ) कर्मकी अपेक्षा उस (ज्ञान) का फलके नाते श्रेष्ठ होना सम्भव नहीं। तथा कर्मणः श्रेयस्करी भगवता उक्ता तथा भगवान्ने कर्मोंकी अपेक्षा ज्ञानको कल्याण- बुद्धिः अश्रेयस्करंच कर्म कुरु इति मांप्रतिपाद- कारक बतलाया और मुझसे ऐसा कहते हैं कि 'तू अकल्याणकारक कर्म ही कर इसमें क्या कारण यति तत् किं नु कारणम् इति भगवतः उपालम्भम् इव कुर्वन् तत् किं कसात् कर्मणि यह सोचकर अर्जुनने भगवान्को उलहना-सा | देते हुए जो ऐसा कहा कि 'तो फिर हे केशव ! घोरे क्रूरे हिंसालक्षणे मां नियोजयसि केशव इति मुझे इस हिंसारूप धोर क्रूर कर्ममें क्यों लगाते हैं ?' च यद् आह तत् च न उपपद्यते । वह भी उचित नहीं होता। अथ स्मार्तेन एव कर्मणा समुच्चयः सर्वेषां यदि भगवान्ने स्मार्त-कर्मके साथ ही ज्ञानका भगवता उक्तः अर्जुनेन च अवधारितः चेत् | समुच्चय सबके लिये कहा होता एवं अर्जुनने भी तत् किं कर्मणि धोरे मां नियोजयसि इत्यादि फिर हे केशव ! मुझे घोर कर्ममें क्यों लगाते हैं।' ऐसा ही समझा होता, तो उसका यह कहना कि कथं युक्तं वचनम् ॥१॥ कैसे युक्तियुक्त हो सकता ? ॥१॥ स्यात् । तथा किंच--- व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे । तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम् ॥२॥ व्यामिश्रेण इव यद्यपि विविक्ताभिधायी! यद्यपि भगवान् स्पष्ट कहनेवाले हैं तो भी मुझ भगवान् तथापि मम मन्दबुद्धेः व्यामिश्रम् इव मन्दबुद्धिको भगवान्के वाक्य मिले हुए-से प्रतीत भगवद्वाक्यं प्रतिभाति । तेन मम बुद्धिं | होते हैं, उन मिले हुए-से वचनोंसे आप मानो मेरी मोहयसि इव । । बुद्धिको मोहित कर रहे हैं।