पृष्ठ:संकलन.djvu/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१९
भारत में शिक्षा-प्रचार

(१)
प्रारम्भिक बातें

गवर्नमेंट आफ़ इंडिया ने, हाल में, एक बड़ी अच्छी पुस्तक प्रकाशित की है। यह पुस्तक एच० शार्प साहब, सी० आई० ई० की लिखी हुई है। इसमें १९१० से १६१२ ईसवी तक के शिक्षा-प्रचार की पञ्च-वार्षिक आलोचना है। शिक्षा-प्रचार के सम्बन्ध में गवर्नमेंट की नीति क्या है? ईस्ट-इंडिया कम्पनी के समय से लेकर अब तक शिक्षा के सम्बन्ध में क्या क्या परिवर्तन हुए? कैसे कैसे कालेज और स्कूल पहले थे और कैसे अब हैं? उनमें किस तरह की शिक्षा दी जाती है? उसका फल कैसा हुआ है? शिक्षा-प्रचार के विषय में जन-समुदाय की क्या राय है? गवर्नमेंट कहाँ तक प्रचार का ख़र्च दे सकती है? इसी तरह की और भी कितनी ही आवश्यक्त बातों की समालोचना इसमें की गई है। इसमें शिक्षा के प्रचार और विस्तार का, विश्वविद्यालयों, कालेजों और स्कूलों की स्थापना और पढ़ाई का, उद्योग-धन्धे और दस्तकारी आदि से सम्बन्ध रखनेवाले

१२२