पृष्ठ:संकलन.djvu/१६८

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मील लम्बा तार तैयार कर लिया। वह तार बड़े बड़े दो जहाज़ों पर लादा गया। उन जहाजों को वे लोग 'वैलेंशिया बे' नामक बन्दरगाह में ले गये। यह बन्दरगाह आयरलैंड के समुद्री किनारे पर है। वहाँ पर उस केबिल का एक छोर ज़मीन में गाड़ दिया गया। फिर जहाजों पर लदे हुए उस तार को धीरे धीरे समुद्र में डालते हुए वे लोग अमेरिका की तरफ़ ले जाने लगे। परन्तु समुद्र में चार सौ मील तक डाले जाने पर वह अकस्मात् टूट गया और उसका टूटा हुआ सिरा गहरे समुद्र के भीतर न मालूम कहाँ चला गया। इस दुर्घटना से वह काम उस साल बन्द रहा।

अगले साल केबिल डालने की एक नई रीति निकाली गई। निश्चय हुआ कि वे दोनों जहाज़ अटलांटिक महासागर के बीच में एक दूसरे से मिलें और वहीं से केबिल डालना आरम्भ करें। फिर एक जहाज़ केबिल डालते हुए न्युफौंडलैंड की तरफ़ जाय और दूसरा आयरलैंड की तरफ़। इसके भी बाधक कारण उत्पन्न हो गये। उन दोनों जहाज़ों के परस्पर मिलने के पहले ही समुद्र में तूफ़ान आया। उससे एक जहाज़ को बड़ी आफत में फँसना पड़ा। जो लोग उस पर सवार थे, उन्हें बहुत तकलीफ़ हुई। केबिल के पर्वतप्राय ढेर, जो उस पर थे, जहाज़ हिलने से उछल उछल कर जहाज़ की दीवारें तोड़ने लगे। ऐसा मालूम होने लगा कि जहाज टूट कर डूब जायगा। परन्तु थोड़ी देर बाद तूफ़ान शान्त हो गया। जहाज़ वहाँ से

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