पृष्ठ:संकलन.djvu/४६

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साहब आजकल कहाँ पर डिप्युटी कलेक्टर हैं; अमुक साहब कहाँ की कलेक्टरी पर बदल दिये गये हैं; अमुक सदरआला साहब कब छुट्टी पर जायँगे; अमुक सुनसरिम साहब के लड़के की शादी कहाँ हुई है; अमुक हेड मास्टर साहब नौकरी से कब अलग होंगे ! एक दिन एक मशहूर ज़िला-स्कूल के हेड मास्टर ने अपने स्कूल के ढोलन ( Roller ) का इतिहास वर्णन करके हमारे दो घण्टे नष्ट कर दिये। पर अनेक अच्छी अच्छी पुस्तकों को नाम लेने पर आपने एक को भी देखने की इच्छा प्रकट न की। इसका कारण रुचि-विचित्रता है। यदि ऐसे आदमियों में से दस पाँच भी अपने देश के साहित्य की तरफ़ ध्यान दें और उपयोगी विषयों पर पुस्तकें लिखें तो बहुत जल्द देशोन्नति का द्वार खुल जाय। क्योंकि शिक्षा के प्रचार के बिना उन्नति नहीं हो सकती; और देश में फ़ी सदी दो चार आदमियों का शिक्षित होना न होने के बराबर है। शिक्षा से यथेष्ट लाभ तभी होता है जब हर गाँव में उसका प्रचार हो; और यह बात तभी सम्भव है जब अच्छे अच्छे विषयों की पुस्तकें देश-भाषा में प्रकाशित होकर सस्ते दामों पर बिकें। जापान की तरफ़ देखिए। उसने जो इतना जल्द इतनी आश्चर्यजनक उन्नति की है, उसका कारण विशेष करके शिक्षा का प्रचार ही है। हमने एक जगह पढ़ा है कि जिस जापानी ने मिल साहब की स्वाधीनता ( Liberty ) का अपनी भाषा में अनुवाद किया, वह सिर्फ़ इसी एक पुस्तक को लिखकर अमीर हो गया। थोड़े

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