ईसवी में स्त्रियों की जी यूनीवर्सिटी ( विश्व-विद्यालय )
टोकियो में स्थापित हुई, वह सब में श्रेष्ठ है। जो लोग पुराने
खयालात के थे, उन्होंने इस विश्व-विद्यालय के स्थापित होने में
बहुत कुछ प्रतिकूलता की। तिस पर भी मतलब से अधिक
चन्दा इकट्ठा हो गया। जितनी इमारतें दरकार थीं, सब बन
गईं और विश्व विद्यालय स्थापित हो गया। उसके स्थापित
होने के पहले ही उसमें दाखिल होने के लिए इतनी अर्ज़ियाँ
आईं कि कई सौ अर्ज़ियाँ नामंजूर करनी पड़ीं; क्योंकि सबके
लिए जगह ही न थी। इस विश्व-विद्यालय में इस समय
कोई ७०० स्त्रियाँ हैं। उनकी शिक्षा के लिए ४९ अध्यापक,९
शिक्षक और ९ व्याख्यान देनेवाले हैं। अध्यापकों में सिर्फ
दो इंगलैंड के हैं और एक अमेरिका का; बाकी सब जापान के।
जिन जिन विषयों की शिक्षा स्त्रियों को अपेक्षित है, वे सब
विषय यहाँ सिखलाये जाते हैं। बच्चों का पालन-पोषण, सफाई,
कला-कौशल और गृहस्थी के काम-काज के सिवा शिष्टाचार,
गाना-बजाना, तसवीर खींचना और फूलों की मालायें और
गुलदस्ते आदि बनाना भी सिखलाया जाता है। अर्थशास्त्र,
इतिहास, दर्शन, भूगोल, कानून, साहित्य इत्यादि विषयों की
भी शिक्षा दी जाती है। जो लड़कियाँ और स्त्रियाँ विश्व-
विद्यालय के बोर्डिंग-हाउस में रहती हैं, उनको अपने हाथ से
गृहस्थी के काम-काज करने की शिक्षा स्त्री-अध्यापिकायें अपने
पास रख कर देती हैं।
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