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पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/७०

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रामस्वयंबर। लागी होन कुंवर नेउछावर मनिगन रत्न अमाले ॥ गुरु वशिष्ठ को वोलि महीपति अपनी आसय खोले ॥२८६६ सकल वेदविद्या कुवरन को दीजै.नाथ पढ़ाई। धनुर्वेद गांधर्ववेद अरु वेद अंग समुदाई ।।.. . मुनि तथास्तु कहि गवन भवन किये संध्याकाल विचारे । उठे भूप सत्कारि सभासद कुंवर सदन-पगु धारे. ॥२८॥ .." (दोहा) बीती रजनि अनंद सों, भयो महा सुख भार । पढ़न हेतु विद्य गये, गुरुगृह राजकिसोर ॥२८॥ . . .(छंद चौवोला) थोरे कालहि में रघुनंदन भाईन सखन समेतूं। वेद शास्त्रे पढ़ि लियो दियो पुनि गुरुदक्षिण कुलकेतू। करहिं शस्त्र अभ्यास पहर जुग पुनि अंतहपुर आई। मातु विरचि मनरंजन व्यंजन चारि सतर्न खवा ।।२८६॥ . . . ... .. ...सयन करहिं निज निज सदन, अति सुकुमार कुमार। जननी सकल सुवांवतीं, कहि कहि कथा अपार ॥२०॥ -::.:... (कवित्त) : . . . . : ... कहति कहानी कौसिलाजु छीरसिंधु मध्य, भूधर त्रिकूट रहो गज चलवार है। प्रत्यो तेहि माई एक महाबली ग्राह - (दाहा), . . . १ . -