पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/९२

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७६ रामस्वयंवर। सच्चाई सूव हैं। कहैं रघुराज मुनिराज हमसे कही कौन के फचे फरजंद दिलहव हैं । विहिश्त के नूर मशहूर दिलहर हरजोन में जहां के जान महबूब हैं ॥४२८॥ (सोरठा) सुनत सुमति के बैन. विश्वामित्र हुलास भरि । देरघुपति छवि नैन, चैन ऐन कह चैन बर ॥४२६॥ (कवित्त) आफताव-औलाद मरजादवारे, संग चलते पील असवार प्यादे । रहनेवाले ये ऐश अराम के हैं, मघवान ते शान औ शानजादे ॥ रघुराज दोउ आले मरातिधा के इसी वक्त में पूर करि दिए वादे। समर वाँकुरे ठाकुरे अवध के हैं, दशरथ वाद- शाह के शाहजादे ॥ ४३०॥ (छंद चौवोला) अतिथि अपूरब जानि अर्वानपति दशरथराजकुमारा । आइयसन विचित्र मँगाय सियो अनुपम सतकारा ।। राजकुमारति सत्कार गाधिसुत राम लपन मुस साने । उतरे गंग संग प्तवास हुलासित आसित भार पयाने ॥४३॥ उत्तर कूल जाय मुनिील सनेह गेह गवन्या सिरनाई। कियो निवास राम काल का सयन किये दोउ भाई ॥ या करि कोमलपद जलदाता। राम लपन जुत गाधिसुरविश्वमुनि संग चले दोउ भ्राता ४३२१ अमरावती समान छवि, ९ को मुनिन समाज समेतू ।