पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१०९

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क्रिया से अथवा दूसरे शब्द से भिन्न-भिन्न प्रकार का संबंध रखते हैं । पहले वाक्य में लड़का संज्ञा से पढ़ता है' क्रिया से कत्त का बोध होता है; इसलिये *लड़का संज्ञा को कच-कारक कहते हैं । दूसरे वाक्य में पढ़ना” क्रिया का फल लड़के को संज्ञा पर पड़ता है; इसलिये लड़के को संज्ञा कर्म-कारक कहाती है। तीसरे वाक्य में लड़के से संज्ञा के करता है” क्रिया की संगति का बोध होता है । चौथे वाक्य में “पढ़ाता है क्रिया का फल पहले: “पुस्तक' संज्ञा पर और फिर "लड़के को संज्ञा पर पड़ता है। इस प्रकार लड़का संज्ञा का संबंध क्रिया से भिन्न-भिन्न प्रकार का है। पाँचवें वाक्य में उनसे सर्वनाम से “ली क्रिया का अलगाव सूचित होता है। छठे वाक्य में उसकी सर्वनाम से ‘‘पुस्तक' संज्ञा का संबंध पाया जाता है। संज्ञा वा सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध क्रिया वा दूसरे . शब्द के साथ सूचित किया जाता है, उसे कारक कहते हैं । । संज्ञा वा सर्वनाम का संबंध क्रिया अथवा दूसरे शब्द से बताने के लिये उसके साथ जो अक्षर अर्थात् चिन्ह लगाया जाता है उसे विभक्ति कहते हैं; जैसे, ने, को, से, का, में । || १८२-हिंदी में आठ कारक होते हैं जिनके नाम और विभक्तियाँ 'नीचे लिखी जाती हैं-- । ' कारक |' (१) कर्ता | ( २) कर्म को , ( ३ ) कारण | ( ४ ) संप्रदान | को, के, लिए | (५ ) अपादान | ( ६ ) संबंध का-के की। ( 9 ) अधिकरण में, पर। ,, (८) संबोधन हे, अजी, अरे विभक्ति ०, ने