पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/११४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१०४)

( १०४ ) मुनि---मुनियों ने । तिथि-तिथियों का हाथी-इथियों का नदी-नदियों में ( २ ) इंकारात संशाओ के अंत्य स्वर के पश्चात् ‘यो’ जोड़ा जाता। है । “ई” को ह्रस्व कर देते हैं । रासो---रासों के कोदोकोदो से सरसो----सरसो का गा--गौ में ( ३ ) किरात संज्ञाओं में केवल अनुस्वार जोड़ा जाता है और अनुस्वार युक्त ओकारत तथा औकारांत संज्ञाओं में कोई विकार नहीं होता । राजा-राजाओं ने साधु साधुओं का काका-काकाओ को । चौवे---चौबेओं में माता--माताओं से जौ---जौओ में धेनुधेनु का डाकू-डाकुओं पर (४) शेष सज्ञाओं में अंत्य स्वर के पश्चात् 'ओ' लगाया जाता । है। ऊ' को ह्रस्व कर देते हैं। ( ५ ) संबोधन कारक के बहुवचन में अनुस्वार नहीं आता, जैसे, हे लड़की, हे भाइयो, हे साधु । (६ ) वैटा और 'बच्चा' संज्ञाएँ संबोधनकारक के.एकवचन में बहुधा अविकृत रहती हैं; जैसे, हे वेटा, तुम कहाँ हो ? अरे बच्चा, वहाँ च । १८७५---नीचे सज्ञाओ की कारक रचना के कुछ उदाहरण दिए नाते हैं---