पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१२

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३-अपने विचार प्रकट करते समय हम या तो कोई समाचार सुनाते हैं या प्रश्न पूछते हैं अथवा किसी से कुछ प्रार्थना करते हैं । इतना ही नहीं, हम इच्छा अथवा अाश्चर्य भी प्रकट करते हैं । इस प्रकार हमारे विचार कई रूप धारण करते हैं और उनके अनुसार वाक्यों के भी कई भेद होते हैं । अर्थ के अनसार वाक्य मुख्यतः पाँच प्रकार के होते हैं । (१) विधानार्थक वाक्य के द्वारा हम दूसरे को किसी बात की । स्वीकृति वा निघेघ की सूचना देते हैं, जैसे, आम मीठा है। कल रात झो पानी गिरा । मेरा भाई काशी से आवेगा । इम वहाँ नहीं थे । घर में कोई नहीं है । (२) प्रश्नार्थक वाक्य के द्वारा प्रश्न किया जाता है, जैसे राम कहाँ है ? क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? मोहन कब आया था । । । (३) अज्ञार्थक वाक्य से आज्ञा, अनुमति अथवा प्रार्थना का बोध होता है, जैसे, जाओ । मुझे आने दीजिए। { ४ ) इच्छात्रोधक वाक्य से इच्छा, आशीर्वाद अथवा शाप का बोथ होता है, जैसे नाय ! मेरा बेटा मुझे मिल जावे । ईश्वर उसको भन्दा केर | अन्यायी का नाश हो ! (५) विस्मयादिबोधक वाक्य विस्मय, हर्ष, शोक आदि भाव सूचित करता है, जैसे, यह चित्र कितना सुंदर है ! भाई तुम मुझे कई य' में मिले हो ! वह मित्र के बिना रहेगा ! | ४-वाक्य के सार्थक खण्ड करने से शब्द मिलते हैं । यदि हम ब्द भई खण्इ करें तो हमें एक वा अधिक छोटी से छोटी ध्वनि म ई, ने, 'ज' में ज + अ + आ, ‘मोहन' में म + + +न र में हैं-- ए ! प्रत्येक छोटी से छोटी ध्वनि को अक्षर कहते हैं। और एक व अधिक अनुर के मेल से शब्द बनता है। जैसे, न, नहीं, धर, ६ | इन प्रकार भाया वाक्यों से, वाक्य शब्दों से और शब्द ३ ३ ३ जाते हैं ।