पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१२३

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क्या करण-अपादान काहे संप्रदान काहे को संबंध काहे का-के-की अधिकरण काहे मै, काहे पर | १९६--प्रश्नवाचक सर्वनाम क्या' की कारक-रचना नहीं होती; यह इसी रूप में केवल कर्ता और कर्म कारकों के विभक्ति रहित एकवचन में आता है। दूसरे कार को मे ‘‘क्याके बदले काहे के साथ विभक्तियाँ जोड़ी जाती हैं । . (अ) 'काहे से' और 'काहे को’’ का प्रयोग बहुधा क्यो' के अर्थ में होता है; जैसे वह यह बात काहे से कहता है ? तुम वहाँ कहे। को गए थे ? क्योकि के अर्थ मे कभी-कभी 'काहे से, कि’ आता है; |जैसे; शकुंतला मुझे बहुत प्यारी है, काहे से कि वह मेरी सहेली की बेटी है । “काहे का अर्थ कभी-कभी निरर्थक होता है; जैसे, वह काहे का ब्राह्मण है ? अनिश्चयवाचक सर्वनाम ‘कोई कत्व कोई किसी ने | कोई-कोई, किसी किसी ने कर्म-संप्रदान किसी को किसी किसी को किसी का-के-की किसी-किसी-का-के-की १६७---कोई'का विकृत रूप एकवचन में किसी? है, जो बहुवचन में दुहराया जाता है और सर्वनाम के समान बहुवचन में इसका अलग विकृत रूप नहीं है ।। ( क ) कोई-लेखक किन्ही ने” “किन्हीं की?” "किन्हीं का?' आदि रूप लिखते हैं; पर थे सर्वसंमत नहीं हैं। अनिश्चय वाचक सर्वनाम “कुछ’ १६८-प्रश्नवाचक क्या के समान *'कुछ' की भी कारक रचना संबंध किसी को